Thursday, September 22, 2022

स्वतंत्रता दिवस कविता

स्वतंत्रता दिवस कविता

स्वतंत्रता दिवस कविता

स्वतंत्रता की वेदी पर जाने, कितनों ने बलि चढ़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी
गुमनामी में जो खपा हुए, आज मैं उनके नाम गिनाऊंगा
जो शहीद हुए पर विस्मृत हैं, आज उनकी याद दिलाऊंगा


चंदरशेखर आज़ाद भगतसिंह, ये कुछ नाम चुनिंदा हैं
लाल बाल पाल गाँधी जी, हम सबके दिल में जिन्दा हैं
लाला लाजपत राय ने सर पे, अंग्रेजों की लाठियां खाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

गुमनामी में जो खपा हुए, आज मैं उनके नाम गिनाऊंगा
जो शहीद हुए पर विस्मृत हैं, आज उनकी याद दिलाऊंगा
आज़ादी के मतवालों की, भारत के जन जन ने महिमा गाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

ऑरबिंदो और बरिंद्रा घोष, श्री भूपेंदर नाथ बलिदान हुए
शिव वर्मा, बटुकेश्वर दत्त, हरे कृष्णा कोनार भी नाम हुए
क्रांति का दिया बिगुल बजा, तब जाके आज़ादी पाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

उयालवाड़ा नरसिम्हा रेड्डी, आंध्र प्रदेश के वीर हुए
जतिन मुखर्जी, प्रफुल्ला चाकी, खुदीराम रणधीर हुए
भारत छोड़ो आंदोलन से, अंग्रेजों की नींद उड़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

बी सी वोहरा,राजेंदर लाहिड़ी, रामप्रसाद बिस्मिल बलवान हुए
राजगुरु, सुखदेव और रोशन, अशफाक उल्ला एक खान हुए
सेंट्रल अस्सेम्ब्ली और काकोरी से, इन वीरों ने प्रसिद्धि पाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

विनायक दामोदर सावरकर, वीर भाई कोतवाल हुए
वंचिन्तन आंदोलनकारी, और बिपिन चंद्र पाल हुए
वंचिन्तन ने अपने साहस से, अंग्रेजी सेना मार भगाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

मदन लाल धींगड़ा, पी एम बापट, एस के वर्मा कुर्बान हुए
लाला हरदयाल, सचिन सान्याल, सूर्या सेन बलिदान हुए
सूर्या सेन ने दल बल लेकर, चित्तगोंग पे करी चढ़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

बसंत कुमार बिश्वास, चटर्जी, रास बिहारी बोस हुए
मानिकतला पश्चिम बंगाल में जुगांतर बरीन घोष हुए
दिल्ली बम्ब विस्फोट में वायसराय की, जान पे बन आई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

प्रीतिलता वड्डेदार, बीना दास, लक्ष्मी बाई एक रानी थी
दुर्गा भाभी, सुशीला त्रेहान, वेलु नचियार भी एक रानी थी
इन महिला क्रांतिकारियों ने एक लम्बी लड़ी लड़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

अलीमुद्दीन अहमद, अरुणा आसफ अली, ए क्यू अंसारी सेनानी
सुभाष बोस और मोहन सिंह, थी लक्ष्मी सहगल दीवानी
आजाद हिन्द फ़ौज बनाके, आज़ादी की लड़ी लड़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

इनायतउल्ला खान, काजी नज़रुल, महमूद हसन देओबंदी
हेमचन्द्र कानूनगो, वी बी फड़के, हुए वीर उबैदुल्ला सिंधी
भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए, इन वीरों ने धूम मचाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

शहीद उधम सिंह के जौहर को भला कौन भुला सकता है
सरोजनी नायडू, सरदार पटेल को कौन भुला सकता है
अम्बेडकर ने भारत छोड़ो आंदोलन में, सक्रिय भूमिका निभाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

जयहिन्द, जय भारत

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
रिटायर्ड वारण्ट अफसर, वायुसेना
शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा
पिन 131001
मोबाइल नंबर : 9963493474    
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Wednesday, September 21, 2022

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती 23 जनवरी


नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती 23 जनवरी


नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती 23 जनवरी

23 तारीख इंडिया गेट पर जाकर शीश झुकाउंगा।
नेताजी की प्रतिमा पर फूलों का हार सजाऊंगा ।।
सुभाष बोस की प्रतिमा हुई स्थापित इंडिया गेट पर।
पराक्रम दिवस के अवसर पर अनावरण इंडिया गेट पर।।
शहीदो की कुर्बानी बगैर भला कौन आज़ादी देता जी।
अदम्य साहस और पराक्रम से अतिरेक थे नेता जी।।
बुद्धि बल, ओजस्वी चेहरा, भला कौन भुला सकता है।
एक हुँकार से अंग्रेजो को जो मौत की नीँद सुला सकता है।।
खून के बदले आज़ादी, ये नारा स्वयं ही अद्भुत था
हिन्द के बाँकुरों के सम्मुख, अंग्रेजी शासन विचलित था
ऐसे वीर पराक्रमी को मैं श्रद्धा सुमन चढाता हूँ
करके याद शहीदों को गौरव से सलूट लगाता हूँ।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
रिटायर्ड वारण्ट अफसर, वायुसेना
शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा
पिन 131001
मोबाइल नंबर : 9963493474
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Friday, August 5, 2022

पोता

पोता

पोता


जब से खबर पता चली कि पुत्रवधु "पेट" से है,
परिवार जन, परिचित, बन्धु सब ख़ुशी से हरषाने लगे
पहलौठी का है, देख लियो पोता ही होगा
रोज रोज सब यही गीत गाने लगे
हम भी सबकी देखम देख, जब भी बहू पैर छूती
तो आशीर्वाद के रूप में "पुत्रवती भवः" अलापने लगे
मातृ शिशु रक्षा हेतु सरकारी संरक्षण प्राप्त योजना के तहत
हर महीने बहू के स्वास्थ्य की जांच दिनों दिन कराने लगे
माता और शिशु हृष्ट पुष्ट रहें, इसी ख्याल से
बहू की लिलौनी कर करके, उसे पौष्टिक आहार खिलाने लगे
डॉक्टर की सलाह से निर्धारित अवधि और मात्रा में
मल्टी विटामिन, मिनरल और न्यूट्रिशन खिलाने लगे
बहू का बढ़ता वजन और चेहरे की चमक देखकर
पोता होगा, पोता होगा, सब ऐसा अनुमान लगाने लगे
तीन से छह और छह से नौ महीने का अंतराल घटकर
बहुप्रतीक्षित दिन, घंटे, मिनट और सेकंड गिनवाने लगे
आखिर वो घड़ी भी आ गई, डिलीवरी के दिन
सब पोते की चाह में हस्पताल के इर्द गिर्द मंडराने लगे
सबकी आशाओं को धता बताकर, कन्या ने जन्म लिया
आशाओं पर तुषारापात हुआ तो सब मुँह बनाने लगे
मेरी धर्मपत्नी खुश कि दादी बन गई, पुत्र खुश कि पिता बन गया,
हम सबसे खुश कि इस कन्यारत्न के आने से हम दादा कहलाने लगे
जच्चा बच्चा को देखने वार्ड में गया तो पुत्रवधू ने शिकायत की
पापा आप तो रोज आशीर्वाद में कहते थे कि "पुत्रवती भवः"
अब पोती देख कर भी इतराने लगे
मैंने हँस कर कहा, मैं तो फिर कह रहा हूँ कि
हे जगत जननी! पोता दे! ये सुनकर सब खिलखिलाकर हँसने लगे

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
रिटायर्ड वारण्ट अफसर, वायुसेना
शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा
पिन 131001
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